( तर्ज- मेरे दिल के बावरे पंछी ० )
तेरे दिल से करता तूं है ,
सुनता ही नहीं किसिका भी ।
कई बार बताया था जो ,
अरे मार्ग खुशीका भी || टेक ||
ऐसा कहाँपे सीखा ,
अपने ही दिल का करना ।
इससे बिगड रहा है ,
सारा भया जमाना ॥
दिन आये हसीका भी ॥ १ ॥
सुनना सभी की पहले ,
फिर सोच करके चलना ।
इन्सान वही होता
पडता न जिसे रोना ॥
सारी खबर बता दे
हो भला किसीका भी || २ ||
दर्याव दिलका कोई ,
हो तो बतावे तुझको |
तुकड्या कहें नहीं तो ,
करना ही है क्या किसको ।
धीरज कदम उठाले ,
तू ले ले मेरी चाबी ॥ ३ ॥
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